और कितना हराना चाहता है तू मुझे ।
जबकी मैं खुद को ही हार चुका हूँ तुझे।
दिल किया तेरे हवाले ,जान भी की है।
और बता दे तू क्या क्या मैं दूँ तुझे।
जब से चाहा मैनें ,बस चाहा है तुझे।
कर चाहे जितने सितम, पूजता हूँ तुझे।
चाहा था गर्दिशों में कोई साथ देगा ।
हर दम मैं वक्त का मारा लगा हूँ तुझे।
हर किसी का एक रोज़ वक्त आता है यहाँ।
अब इस बात का भी क्या , सबूत दूँ तुझे।
वह वक्त आएगा जिंदगी में कभी ना कभी।
जैसे मैं याद करता हूँ ,करेगा तू मुझे।
10.22pm 8 September 2020
Bahot khub ji
ReplyDeleteBohut achi likhi hai aapne. Keep entertaining us
ReplyDeleteBohut achi likhi hai aapne. Keep entertaining us
ReplyDeleteअच्छी तुकबन्दी है और कमाल की बात तो ये है कि धीरे धीरे पढ़ो तो मजा ये है शब्द सरल हैं किंतु भावनाएं गहरी हैं। दिल को छू लेने वाली रचना।
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