Sunday, 27 September 2020

1417 खयानत हो जहां वहां रिफाकत( दोस्ती)नहीं है(3 liner)

 देखते रहना कमजोर पर जुल्म और

बेसहारा कमजोर को  छोड़ना है जहालत(illiteracy, ignorance)

इसे कहते कोई बसालत( बहादुरी)नहीं है



मत सोच कि तुझ में  नहीं है ताकत 

तेरी नेकी को कोई कुछ कहे

किसी की ऐसी हिमाकत नहीं है।



उठ बन सहारा तू किसी का।

जब तुझ में है गुण सदाकत( सच्चाई।)

मत सोचना तुझ में शुजाअत (bravery)नहीं है।


साथ सदा तू निभाना दोस्तों का। 

मत करना कभी दोस्ती में खयानत

खयानत हो जहां वहां रिफाकत( दोस्ती)नहीं है

07.07pm 16 September 2020

3 comments:

  1. वाह वाह। बहुत जोरदार।
    बहुत सुंदर और सटीक।
    आपने शब्दों का चयन बहुत बारीकी से , बहुत नज़ाक़त से किया है।

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  2. वाह वाह। बहुत जोरदार।
    बहुत सुंदर और सटीक।
    आपने शब्दों का चयन बहुत बारीकी से , बहुत नज़ाक़त से किया है।

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