Saturday, 3 October 2020

1423 छूट जाएं यह सांसे जाने किस शाम को

 क्या करें कैसे करें अब काम को ।

छोड़कर अब सारे आराम को।


अब हौसलो ने जवाब दे दिया ।

थाम नहीं पाता हूं अब लगाम को।


इस टूटी आस का क्या करूं।

तुम भी ना छोड़ देना इस नाकाम को।


गर्दिशों में है अब हर एक पल मेरा।

 छूट जाएं यह सांसे जाने किस शाम को।

3.33pm 3 Oct 2020

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