Tuesday, 2 March 2021

1573 टूटा हुआ टुकड़ा

 नजारो, बहारो,सितारो ,आ जाओ पास मेरे।

मैं तुम ही में से कोई टूटा हुआ टुकड़ा हूँ। 

मुस्कुराने की वजह ढूँढता रहता मैं हर पल।

मैं तुम्हीं सा ही कोई बिखरा हुआ सितारा हूँ। 

आओ गले लगा लो मुझको, भर लो आंचल में।

जाने न देना मुझको ,अपनी पनाहों से दूर ।

भर लेना आँचल में, कभी जुदा न हो पाऊं मैं ।

मैं तुम्हारा ही कोई बिखरा हुआ टुकड़ा हूँ। 

2.45pm .1 March 2021

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