Friday, 30 April 2021

1632 Ghazal : गज़ल : प्यार के रास्ते नहीं सीधे

 2122 1212 22

Qafia amm, काफि़या अम

Radeef Milte, रदीफ़ :मिलते 

यूँ अगर राह में न हम मिलते ।

तो कहाँ प्यार के यह गम मिलते ।


करते जो ऐतबार मुझ पर तुम ।

तब हमारे सनम कदम मिलते ।


बात अपने नसीब की है जो ।

किसको कैसे सनम, सनम मिलते।


प्यार किस्मत कभी बनाता है ।

हैं किसी को गमो अलम (दुख दर्द) मिलते।


प्यार के रास्ते नहीं सीधे।

हैं यहाँ तो जी, पेचोखम (मुश्किलें) मिलते।


है खुशी चाहे प्यार में मिलती ।

पर ये आँसू ,कहाँ ये कम मिलते।


आशिकों को तो आशिकी में ही 

बस ,सदा दै़र (मंदिर) और हरम(काबा)  मिलते।


खुश जो बाहर से हैं नजर आते ।

आँख अंदर से हैं वो नम मिलते।

10.08am 28 April 2021

7 comments:

  1. बहुत सुन्दर और सलीके से शब्दो को सजाया है।

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  2. बहुत सुन्दर और सलीके से शब्दो को सजाया है।

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