कागज़ तेरे होने से मैं लिख रहा हूँ।
तू न होता तो मेरे जज्बात कहाँ जाते ।
क्या मुझे कहना पड़ता किसी से या ,
यह खुद ही में कहीं बिखर जाते ।
सोचता हूँ तेरा बनाने वाला भी क्या खूब था।
क्या वह भी अपने जज्बात से मजबूर था।
या उसे फिकर थी दूसरों की कि कोई ना मिले,
तो उतार सके अपने जज्बात को तेरे सीने पर ,
और हो जाए रिहा उन जज्बातों से,
जो उसे कभी सताते हैं ,तड़पाते हैं ,रुलाते हैं।
5.08pm 17 May 2021
very nice
ReplyDeleteThanks ji
DeleteSuper se uper
ReplyDeleteThanks ji
DeleteWahhh.....bahut khoob
ReplyDeleteThanks for your appreciation
DeleteWahhh.....bahut khoob
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