Monday, 27 January 2020

1173 मन की बात तो कर

आ बैठ पास मेरे , कुछ मन की बात तो कर।
ख्वाबों की लकीरों में  जिंदगी  के रंग  तो भर।

बेलगाम होती इस ख्वाहिशों की डोर को
आकार दे सोच को,इतना एहसान तो कर।

 बहुत चला हुँ मैं राहों पर ,कुछ हुआ न हासिल।
कांधा मिला के ,साथ मेरे कुछ कदम तो भर।

अकेले हुआ है मुश्किल , मंजिल को तलाशना।
मैं तलाश रहा हूँ, तू  साथ तलाश तो कर।

उड़ना चाहूँ पाने को ख्वाबों की मंजिल ।
पा ही लेंगे मंजिल को,  संग तु परवाज तो भर।



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