Saturday, 24 April 2021

1626 वो है बड़ा हरजाई

मैंने जिससे है प्रीत लगाई है ,वो है बड़ा हरजाई ।

अभी हैं उससे नैन मिले और ,अब ही दे दी जुदाई।

 वो है बड़ा हरजाई ।

जब से उससे नैन मिलाए नींद न मुझको आई। 

तारे गिन गिन रात गुजारूँ,और तन्हाई है छाई। 

वो है बड़ा हरजाई।

दिल की दिल में रह गई ,उसको बोल न कुछ भी पाई।

वह है ऐसा हरजाई कि उसको कुछ देता नहीं दिखाई।

वो है बड़ा हरजाई।

प्रेमी पागल बन बन घूमूँ, दुनिया को कुछ दे न सुझाई। 

दुनिया वालों ने ,न मैं समझी कैसी है रीत ये बनाई।

वो है बड़ा हरजाई।

5.48pm 24 April 2021 

2 comments:

  1. आदरणीया की लेखनी के भाव से सदैव सार्थक समयगत और हृदय की उठती गिरती तरंगों के प्रवाह का बेहतरीन सृजन होता हैं निश्चय ही आप नमन की हकदार है।

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

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