Friday, 4 June 2021

1667 मुझे बचाना पेड़ लगाना

 मैं पेड़ हूं, मुझे जीवित क्यों नहीं समझते ।

क्योंकि मैं ऑक्सीजन देता हूं लेता नहीं ।

पर मैं वह प्राणी हूं जो कार्बन डाइऑक्साइड लेता हूं,

और ऑक्सीजन आप के लिए छोड़ता हूं।

क्योंकि देना ही मेरा धर्म है और मैं,

अपने धर्म से पीछे कभी नहीं हटता ।

चाहे वो फल हों, फूल हों,पत्ते हों या ऑक्सीजन।

 देखो तो तुम्हारा इसमें कितना भला है,

 मैं तो यूं ही पल जाता हूं तुम्हारा कुछ नहीं खाता हूं ।

बस देता ही जाता हूं, देता ही जाता हूं ।

हां

प्रकृति कभी-कभी खिलवाड़ करती है ,

मेरा भी अंतिम संस्कार करती है, पर ,

तुम्हें कोई हक नहीं मुझे यू कत्ल करने का ।

अगर फायदा सोचते हो तो मुझे काटना मत।

मैं भी ज़िंदा हूं,और तुम्हारे बड़े काम का ।

सोचना कुछ और मेरा जीवन बचाना,

और अपना भला सोचकर पेड़ लगाना।

4.55 4 June 2021

4 comments:

  1. बहुत सही फ़रमाया आपने कविता के ज़रिये सच को पिरोया आपने, आपकी लिखने की कला जारी रहे
    👏👏👏👏

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