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काफि़या अर Qafia Err
रदीफ़ : है ये Radeef hai ye
सबका अपना ,चुना हुनर है ये।
उस हुनर का ,ही तो असर है ये ।
हैं बना ली किसी ने दीवारें।
बन गया है उसी पे घर है ये।
याद में जिसकी पोंछे हैं आँसू ।
उसके ही प्यार की चुनर है ये।
वो जो आया अभी इधर से था।
क्या पता अब गया किधर है ये।
ढ़ूँढ़ता है तू दर ब दर जिसको।
देख वो हमसफ़र उधर है ये।
कुछ नहीं डरने जैसा बाहर तो।
तेरे भीतर का ही तो डर है ये।
13.25 pm 11 Aug 2021
वाह वाह क्या ग़ज़ल लिखी है, बहुत ख़ूब
ReplyDeleteधन्यवाद जी
DeleteGood one
ReplyDeleteThanks ji
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