221 1222 221 1222
क़ाफ़िया आम
रदीफ़ मुझे दे दो
क्या खूब ये आंखें हैं इक जाम मुझे दे दो।
मैं आस लिए बैठा, पैगाम मुझे दे दो।
जब से हैं लड़ी आंखें, बढ़ने लगी बेताबी
कुछ पल ही सही अब तो आराम मुझे दे दो।
जीवन किया अपना अब, ये नाम तेरे सारा।
लग साथ तेरे जाए, वो नाम मुझे दे दो।
तरसाओगे कितना इस, मासूम से दिल को तुम।
चाहूंँ जो बिताना इक, वो शाम मुझे देदो।
जब साथ चले दोनों महके ये समा सारा
खुशबू से तेरी महके, गुलफाम मुझे दे दो।
उंगली न उठे तुम पर और पाक रहे दामन।
तुम पर न लगे कोई,, इल्जाम मुझे दे दो।
कब तक मैं रहूं तन्हा, बाहों में मेरी आओ।
ये इश्क मेरा तड़पे, अंजाम मुझे दे दो।
उसके
मिल जाए मोहब्बत जो इक बार मुझे तेरी।
फिर जिंदगी चाहे ये गुमनाम मुझे दे दो।
इससे कि यहां पहले अब इंंतहा हो जाए
कुछ 'गीत' मोहब्बत का इनाम मुझे दे दो दाम
3.25pm 27 ajune 2025
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