Thursday, 27 August 2020

1386 जमाने गुजर गए आज तक ना वह जमाने आए (Sher o Shayri)

 चाहा था , संग हमारे भी कोई समां बिताने आए।30

पर जमाने गुजर गए आज तक ना वह जमाने आए।



रुठे थे इसी आस में हम, कि वह चाहते हैं हमें।

करते रहे इंतजार पर वो ना हमें मनाने आए।


आज भी ना जाने दिल उसी को क्यों याद करता है ।

चला गया जो दिल तोड़कर ,  अब कब ना जाने आए।



चोट खाए बैठे थे दिल पे, चाहा मरहम लगाए कोई।

तोड़ कर चल दिए दिल जो, ना वो मरहम लगाने आए।



बैठे थे इंतजार में ,कि कोई तो आएगा गमख्वार ।

पर जो भी पास आए मेरे ,वो दिल को दुखाने आए।




बहुत कुछ देखा और, इम्तिहान दिए इस जिंदगी में मैने।

जिंदगी न जाने अब और क्या क्या दिन दिखाने आए।



दिल मेरा उठ गया जहान से ,चाहता हूँ  कि सो जाऊँ।

अब तो चाहत है मेरी,  अब ना कोई  जगाने आए।


12.44pm 27 Aug 2020


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