Sunday, 25 October 2020

1445 जय माँ सिद्धिदात्री

 मां सिद्धदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, 

गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व हैं यह अष्ट सिद्धियां ।

मां के चार  भुजाएं है और ,मां ने हाथों में 

शंख, गदा, कमल का फूल और च्रक  है धारण किया।


शास्त्रों के अनुसार, मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान 

और सरस्वती का स्वरूप है, हैं कमल पर विराजमान।


श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से ।

उनका ऐसा रूप, जो  भक्तों को सम्मोहित कर दे।


महानवमी के दिन ही मां दुर्गा ने दुष्ट दैत्य महिषाषुर का संहार किया। 

संहार कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त उद्धार किया। 

महानवमी पर मां दुर्गा को महिषाषुर मर्दिनी के रूप में भी पूजा जाता है।

मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा से यश, बल, धन पाया जाता है। 


मां सिद्धिदात्री की पूजा देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि-मुनि, साधक और 

गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले पूजा करते हैं

माँ सिद्धिदात्री के मंत्र से –

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अपने सब  दुख मां की कृपा से हरते हैं।

2.42pm 25Oct 2020

1 comment: