हिमालय (शैल) के घर जन्मी माता शैलपुत्री कहलाई।
शंकर संग ब्याह रचाया माता पार्वती कहलाई।
प्रथम नवरात्रि करे कलश स्थापना हाथ जोड़।
योगी जन ,शक्ति मूलाधार में स्थित करो साधना योग।
वृषभ (बैल, नंदी) वाहन पर हो आरुण वृषभारुड़ा नाम दिया।
बाएं हाथ में कमल और दाएं हाथ त्रिशूल लिया।
मां की जो हम करें आराधना जीवन में स्थिरता आए ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।
ॐ या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्रीरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
श्रद्धा भाव से जो करें पूजा ,चाहे ना हो विधि-विधान में सक्षम।
सच्चे मन से याद करो बस ,माता हो जाती प्रसन्न।
चंद्र दोष से मुक्ति मिलती ,करो रख संयम तुम ध्यान ।
तामसिक तत्वों से मुक्ति मिलती, हो पवित्रता का आगमन।
9.26am 26 Oct 2020
अद्भुत। अति सुंदर। मुझे यह पता चला कि माता शैलपुत्री ही मा पार्वती हैं।
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखती हो। धन्य हो।
अद्भुत। अति सुंदर। मुझे यह पता चला कि माता शैलपुत्री ही मा पार्वती हैं।
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखती हो। धन्य हो।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
Delete