Saturday, 23 January 2021

1535 Dohe दोहे (राधा श्याम)

 श्याम बजाए बांँसुरी, मन गाए चित्तचोर।

प्रेम लग्न की धुन बजी, नाचे मन का मोर।।


राधा होई बांँवरी, सुन बंँसी की तान।

 सुध बुध सगरी खो गई, रहा न कुछ भी भान।।


श्याम श्याम रटती रहूँ, चाहे दिन हो रात।

श्याम बिना सूझे नहीं, मोहे कोई बात।।


सुन श्यामा की बाँसुरी, रहे न कुछ भी ध्यान।

उसमें ही खोई रहूँँ, वो है मेरी जान।।

4.19pm 20 Jan 2021

*श्याम बजाए बांसुरी, नाचे मन का मोर।
*हुई बावरी राधिका , जब देखा चित्तचोर ।।**

*बावरिया वो फिरै ,सुन बंसी की तान।
*सुधबुध अपनी ना रही, ना था कुछ भी भान।*

*श्याम श्याम रटती  रहूँ,  दिन हो  चाहे रात।
*श्याम बिना सूझै  नहीं ,  और  कछू  अब बात।*

*सुन श्यामा की बाँसुरी, रहे न कोई ध्यान।
*बस उसमें खोई रहूँँ,  जो है मेरी जान।*


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