Sunday, 24 January 2021

1536 Gazal : गज़ल :यार नजर नहीं है आते

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काफिया  Qafia :आर Aar

रदीफ़:Radeef: नजर नहीं आते

करूंँ उनकी बात क्या ,यार नजर नहीं है आते।

दे के धोखा यार ,हर बार नजर नहीं है आते।


कोई उनकि बेकरारी का सबब जो  पूछे उनसे।

वो बता दें, ऐसे आसार नजर नहीं हैं आते।


जो हों सोचते किसी की भी मदद के बारे ,ऐसे,

 तो अजि वे तो मददगार नजर नहीं है आते।


यूँ दिखाया ,छोड़ शर्मिंदगी से गए थे महफिल ।

वो तो शर्मसार पर यार नजर नहीं हैं आते।


के थे  लगते मेले खुशियों के जहां पे हर जगह पर ।

अजि आजकल वो बाजार नजर नहीं हैं आते।


है बदल गया ज़माना ,वो जो बात थी पुरानी ।

कि हमें तो अब वो ,सिंगार नजर नहीं हैं आते।


के हो जिसकी तेज किस्मत,उसे दिख ये जाते तारे।

 के वो टूटते तो हर बार, नजर नहीं हैं आते।

3.07pm 22 Jan 2021

8 comments:

  1. बहुत जोरदार। वाह वाह।
    मुझे सबसे पसन्द आई ए लाइनें--
    कोई उनकि बेकरारी का सबब जो उनसे पूछे।

    वो बता दें, ऐसे आसार नजर नहीं हैं आते।

    आप बहुत अच्छा लिखतीं हैं।

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