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क़ाफ़िया ए
रदीफ़ है
है लोगों की अक्ल पर तो पड़े कुछ ऐसे फंदे हैं।
गरम रखते मिजाज़ अपना मगर भावों से ठंडे हैं।
जहां में हो रही बच्चों की कुछ है परवरिश ऐसी।
बने वो तेज चाहे जितने उनके हाल मंंदे हैं।
हुआ है हादसा इक रास्ते पर लोग देखें बस।
खड़े हैं लोग ऐसे जैसे सब आंँखों से अंधे हैं।
है मुश्किल आजकल तो जानना इंसां की फितरत को।
जो उजले कपड़े पहने हैं वो करते काले घंधे हैं।
खुदा के बंदों का पूछा न जिसने हाल है देखो।
वही कहते हैं खुद को हम खुदा के खास बंदे हैं।
बड़ी हांके जो कह कर देश का उद्धार है हमसे।
न जाने वो कि खुद के हाथ उनके कितने गंदे हैं।
बड़े बनते हैं दानी जो कहें हम सेवा हैं करते ।
है देखा हमने लोगों से इकट्ठे करते चंदे हैं।
है होती 'गीत' कुछ लोगों की किस्मत तो यहांँ ऐसी।
करें कितनी भलाई वो मगर मिलते तो डंडे हैं।
5.01pm 15 Jab 2025
Qafiya: e
Radif: haim
Hai logon ki aqal par to pade kuch aise fande hain.
Garam rakhte mizaj apna magar bhavon se thande hain.
Jahan mein ho rahi bachchon ki kuch hai parvarish aisi,
Bane wo tez chahe jitne unke haal mande hain.
Hua hai haadsa ik raste par log dekhein bas,
Khade hain log aise jaise sab aankhon se andhe hain.
Hai mushkil aajkal to jaan'na insaan ki fitrat ko,
Dhule kapde jo pehne hain karein wo kaale ghandhe hain.
Khuda ke bandon ka poocha na jisne haal hai dekho,
Wahi kehte hain khud ko hum khuda ke hum to bande hain.
Badi haanke jo keh kar desh ka uddhaar humse hai,
Na jaane wo ki khud ke haath unke kitne gande hain.
Bade bante hain daani jo kahe hum seva hain karte,
Hai dekha humne logon se ikatthe karte chande hain.
Hai hoti 'Geet' kuch logon ki kismat to yahan aisi,
Karein kitni bhalai wo magar milte to dande hain.