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Monday 31 May 2021

1663 कठिनाइयों से घबराना नहीं ।

आती है जिंदगी में कठिनाइयां कई ,

पर उन्हें देखकर घबरा  जाना नहीं ।

कदम बढ़ाते रहना तुम आगे , 

डर कर तुम रुक जाना नहीं ।


खेल खेलते जाना तुम ,

जीत तुम्हारी ही होगी ।

देख दूसरों के हौसले ,

अपना हौसला गिराना नहीं ।


तुम भी किसी से कम तो नहीं,

जिस माँ बाप ने दिया तुम्हें सब कुछ ,

रखना तुम सदा उनकी लाज,

उनका शीश झुकाना नहीं।


 तुम्हारी जीत उनकी जीत होगी,

 तुम्हारा मान होगा उनका मान ।

सर अपना रखना तुम ऊँचा,

उनका मान घटाना नहीं।

7.40pm 31 May 2021

Sunday 30 May 2021

1662 मजबूत हो तुम यह लोग सह नहीं पाते ।

 मजबूत हो तुम यह दिखाना,

 लोग सह नहीं पाते ।

चुनी राह पर चलना आसान नहीं ,

सब कोशिश कर तुम्हें हैं डिगाते ।


जो मजबूत होता है उसकी ,

राहें होती है सबसे अलग ।

जो अपनी राह चुनते हैं सबसे अलग ,

सबसे अलग उनके विचार हैं होते ।


 उन सबसे तुम अलग हो ,

यह लोग सह नहीं पाते ।

जिस बात पर लोग रोते हैं ,उसी पर, 

तुम हंसते हो, वह सह नहीं पाते ।


सब अपने जैसे को करते पसंद सदा,

तुम कुछ हटके हो यह वह सह नहीं पाते ।

पर जिन्हें कुछ करना है अलग, तो ,

उनको यह लोग   डरा नहीं पाते।

 

तुम अपनी राह चलते चलो ,

हौंसला रखने वाले नहीं डर जाते।

जो डटे रहते हैं अपनी राहों पे वही ,

आखिर अपनी मंजिल है पाते।

6.51pm 30 May 2021

Saturday 29 May 2021

1661 ਬਾਡੀਆ ਬਣਾਉਣ ਦੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਹੁਣ ਗਈਆਂ

 ਬਾਡੀਆ ਬਣਾਉਣ ਦੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਹੁਣ ਗਈਆਂ।

ਲਾਕਡਾਊਨ ਸੱਭ  ਦੀਆਂ,ਮੱਤਾਂ ਮਾਰ ਲਈਆਂ।

ਕੀ ਕਰੀਏ ਹੁਣ ਘਰ ਰਹਿ ਕੇ 

ਘਰ ਰਹਿ ਕੇ ਸਾਡੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਛੁੱਟ ਗਈਆਂ 

ਘਰ ਰਹਿ ਕੇ ਬੇਬੇ ਦੀਆਂ  ਗੱਲਾਂ ਬਹੁਤ  ਸਹੀਆਂ।

ਬਾਡੀਆਂ ਬਣਾਉਣ ...........



ਬਹਿ ਕੇ ਚੁਬਾਰੇ 'ਚ ਮੋਬਾਇਲ ਪਏ ਦੇਖਦੇ ।

ਦੂਰੋਂ ਦੂਰੋਂ ਹੁਣ ਪਏ  ,ਅੱਖਾਂ ਅਸੀਂ  ਸੇਕਦੇ ।

ਕੀ ਕਰੀਏ ਹੁਣ ਘਰ  ਬਹਿ ਕੇ ,

ਘਰ ਬਹਿਕੇ, ਸਾਰੀਆਂ ਫਰੈੰਡਾਂ ਭੁੱਲ ਗਈਆਂ।

 ਘਰ ਬਹਿ ਕੇ ਬਾਪੂ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਬਹੁਤ ਸਹੀਆਂ  ।

ਬਾਡੀਆਂ ਬਣਾਉਣ .............



ਬੁਲਟ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਜਦੋਂ ਬੈਠਦੀ ਰਕਾਨੇ ਸੀ।

ਗੇੜੀ ਰੂਟ ਲਾਉਂਦੇ ਕਦੇ, ਉਹ ਵੀ ਜਮਾਨੇ 

ਸੀ।

ਕੀ ਕਰੀਏ ਹੁਣ ਘਰ  ਬਹਿ ਕੇ 

ਘਰ ਬਹਿ ਕੇ ਸਾਰੀਆਂ ਰਕਾਨਾਂ ਛੁੱਟ  ਗਈਆਂ।

ਘਰ ਬਹਿ ਕੇ ਭੈਣ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਬਹੁਤ ਸਹੀਆਂ  

ਬਾਡੀਆਂ ਬਣਾਉਣ ...........

7.08pm 29 ਮੇ 2021

Friday 28 May 2021

1660 Gjazal: गज़ल : ये तोड़ देगी इश्क की आँधी मुझे

 2212 2212 2212

काफि़या : आ, Qafia Aa

रदीफ़ : है,Radeef : Hai

कैसी उदासी मन पे देखो छा गई ।

क्यों याद तेरी इस तरह तड़पा गई ।


खोया रहा यादों में तेरी रात भर ।

खुशबू तेरी जाने कहाँ से आ गई ।


ये तोड़ देगी इश्क की आँधी मुझे,

तूफान बन जो जिंदगी में आ गई।


माना सहारा आशिकी को ही मगर,

अंदर ही अंदर ये तो मुझको खा गई।


हम भूल बैठे जब कभी यादें तेरी ,

फिर छेड़ मेरा दिल मुझे बहला गई।

3.07pm  28 May 2021

Thursday 27 May 2021

1659 आम आहा आम ..

 आम आहा आम ..

कहने को आम ,

पर कितना खास ।


आम..आहा आम ..

कच्चा तो खटमिठा, 

पक गया तो मिठास।


आम आहा आम..

खाते ही आम ,

अजब सा एहसास।


आम आहा आम..

कलमी, तोता ,सफेदा,

सबका अलग स्वाद।


आम ..आहा आम..

चौसा, दशहरी ,लंगड़ा,

कोई छोटा कोई तगड़ा ।


आम आहा आम 

कोई पीला,कोई चटकीला,

एक से एक रसीला।


आम आहा आम ..

है मीठा और रसीला ,

खाते ही गला हो गीला ।


आम आहा आम ..

कोई हरा, कोई लाल ,

पर है कमाल ।


आम आहा आम...

फल गर्मियों का ,

मजा सदियों का ।


आम आहा आम...

5.23pm 27 May 2021

Wednesday 26 May 2021

1658 किसने तुझे हँसने से रोका है

 जी ले आज जी भर के तू ,

कल किसने यहाँ पर देखा है ।

हँसी के छोड़ फव्वारे ,

किसने तुझे हँसने से रोका है ।

झूम ले, गा ले तू ,मौज मना,

 दुनिया तो यहां धोखा है।

भीतर झाँक अपने खुश होकर ,

मिलता वही जो किस्मत में होता है ।

अपनी किस्मत बनाने वाला तू खुद है,

 किसी के कहने से क्या होता है।

4.10pm 26 May 2021

Tuesday 25 May 2021

1657 तेरा यूँ उठ कर चले जाना

कुछ कहते ही तेरा, यूँ उठ कर चले जाना ।

बहुत तड़पाता है ,मुझे यूं तेरा उठकर जाना।


ऐसा क्या कह दिया हमने, जो तू यूँ सुन नहीं पाया, 

तड़पा जाता  है तेरा इस तरह बेरुखी दिखलाना।


हाय..जब तू बोलता है तो, जुबान तेरी रुकती नहीं,

मेरा कुछ कहते ही ,कान तेरा बंद हो जाना ।


क्यों दोगला है ये तेरा बर्ताव, क्यों तू समझ पाता नहीं ।

हाथ तेरे आएगा वही ,जो है यहाँ तूने  देकर जाना ।।


ठहर जा कुछ पल और सोच ले कुछ तो, क्या दिया  तूने,

जो दिया है आज तूने ,वही कल तुझे यहाँ से लेकर है जाना।

5.30pm 25 May 2021

Monday 24 May 2021

1656 वीर सावरकर

 महाराष्ट्र में जन्मे(भागुर गाँव) विनायक सावरकर ,वीर  सावरकर नाम हुआ।

माता राधाबाई तथा पिता दामोदर पन्त सावरकर,भाई गणेश (बाबाराव) व 

नारायण दामोदर सावरकर ,बहन नैनाबाई  का संग मिला।


नौ वर्ष में माता जी, सोलह वर्ष की आयु में पिता जी का देहान्त हुआ।

बड़े भाई गणेश पर परिवार के पालन-पोषण का भार हुआ।


दुःख,कठिनाई की घड़ी में गणेश के व्यक्तित्व ने विनायक पर गहरा प्रभाव पड़ा।

मैट्रिक पास की, उन्हीं दिनों कविताएँ लिखने का भी उनको शोक चड़ा। 


उच्च शिक्षा प्राप्त करते हुए स्थानीय नवयुवकों को संगठित कर मित्र मेलों का आयोजन किया।

और इन नवयुवकों में राष्ट्रीयता की भावना के साथ क्रान्ति की ज्वाला को प्रज्वलित किया ।


सन् १९०१ में रामचन्द्र त्रयम्बक चिपलूणकर की पुत्री यमुनाबाई के साथ उनका विवाह हुआ।

उनके ससुर जी ने उनकी विश्वविद्यालय की शिक्षा का भार उठा, पुणे के फर्ग्युसन कालेज से बी०ए० किया।



लन्दन प्रवास में बंगाल के विभाजन के बाद उन्होने पुणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।

इंडिया हाउस, लन्दन में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की स्वर्ण जयन्ती मनाई। 


यहीं ओजस्वी भाषण में प्रमाणों सहित १८५७ के संग्राम को गदर के स्थान पर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सिद्ध किया।

1857 की क्रांति पर पुस्तकें पढ़, "द हिस्ट्री ऑफ द वार ऑफ इंडियन इन्डिपेन्डेन्स" किताब का सृजन किया।

(The History of the War of Indian Independence) 


(१ जुलाई १९०९ को) 

जब मदनलाल ढींगरा ने विलियम हट कर्जन वायली को गोली मारी, उन्होंने लन्दन टाइम्स में जब एक लिखा लेख।

पैरिस से लन्दन पहुँच गिरफ़्तार हुए ,पर जहाज से भारत ले जाते हुए सीवर होल के रास्ते ये भाग निकले।


सावरकर ने अपने मित्रो को बम बनाना और गुरिल्ला पद्धति से युद्ध करने की कला सिखाई। 

नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षडयंत्र काण्ड के अन्तर्गत इन्हें  काला पानी की सजा हुई।  ७ (अप्रैल, १९११,सेलुलर जेल भेजा गया)


(२४ दिसम्बर १९१० को ,इसके बाद ३१ जनवरी १९११ को ) 

ब्रिटिश सरकार ने क्रान्ति कार्यों के लिए इन्हें दो बार आजीवन कारावास दिया ।


सावरकर को  जो विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी सजा मिली, यह पहली बार हुआ। 

सावरकर के अनुसार -

मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूँ। देश-सेवा ही ईश्वर-सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की।


सावरकर जीवन भर अखण्ड भारत के पक्ष में रहे,  गान्धी और सावरकर के दृष्टिकोण कभी नहीं मिले।

भारत विभाजन का विरोध किया, सावरकर २०वीं शताब्दी के सबसे बड़े हिन्दूवादी रहे।


15 अगस्त 1947को उन्होंने सावरकर सिद्धांतों में भारतीय तिरंगा एवं भगवा, दो-दो ध्वजारोहण किये। 

1948 को महात्मा गांधी की हत्या के उपरान्त उन्हें प्रिवेन्टिव डिटेन्शन एक्ट धारा के अन्तर्गत वे गिरफ्तार कर लिये।  


सितम्बर, १९६५ से उन्हें तेज ज्वर ने आ घेरा, जिसके बाद इनका स्वास्थ्य गिरने लगा,१ फ़रवरी १९६६ को उन्होंने मृत्युपर्यन्त उपवास किया ।

२६ फ़रवरी १९६६ को बम्बई में भारतीय समयानुसार प्रातः १० बजे  में अंतिम सांस ले इस दुनिया से प्रस्थान किया।

8.30pm  24 May 2021

Sunday 23 May 2021

1655 तलवार (Veer Chand, वीर छंद ,आल्हा छंद)


बढ़ते चलो बहादुर वीरो ,लेकर हाथों में तलवार।

रक्षा करने खातिर ही  तो,लिया हाथ तुमने हथियार ।


पग पग आगे बढ़ते जाना, देना दुश्मन को ललकार।

एक नजर में दुश्मन भागे,देना ऐसी तुम हुंकार ।


दुश्मन झुक जाए फिर आगे, करना ऐसी तुम ललकार।

धस जाए धरती में दुश्मन ,करना उस पर ऐसा वार।


बढ़ते चलो बहादुर वीरो,  तुमको धरती रही पुकार ।

साहस रखना भीतर  वीरो,न मानना अपने तुम  हार।


2.10 pm 23 May 2021

Saturday 22 May 2021

1654 नटखट

 नटखट होना कोई दोष नहीं ।

नटखट होते हैं बच्चे सभी ।

जो नटखट न हों तो।

बच्चे क्यों कहलाएं जी।

बस हरकत ऐसी हो ,

माफ जिसे कर पाए सभी ।

तुम्हारी नटखट मस्ती से ,

दिल न दुखे कभी कोई ।

जो भी देखे खुश हो जाए ,

नटखटता करें जब भी ।

नटखट थे बहुत कान्हां अपने, 

पर चाहते थे  उनको सभी।

चाहे तंग करते, मात यशोदा को,

पर मना लेते थे उनको तभी।

जब कान्हा करते थे नटखटता,

 खुश हो जाती थी गोपियांँ सभी।

नटखटता तुम भी दिखाओ,

पर किसी का दिल न दुखाओ ।

नटखट तुमको कहें सब ,

पर कहने पर तुम मुस्कुराओ।

5.00pm 22 May 2021

Friday 21 May 2021

1653 कर्म से मिलती सौगात है

मुश्किल कहाँ है काम कोई, बस ठानने की बात है।

अँधेरा कहाँ रहता है रात में ,इक दिया जलाने की बात है।


कितनी भी हो दूर मंजिल, गम न करना तू कभी। 

उठा के कदम देख जरा ,मंजिल तो तेरे पास है ।


उठो आगे बढ़ो ,मुश्किलों को रख एक तरफ  ।

बाजुओं में दम भरो, देखो हर चीज आस पास है।


हर चीज तुम्हारे पास होगी, हौसला करो तो  तुम ज़रा ।

बड़ के छू लो हर उस चीज को जिसकी तुझको आस है।


यह धरती है कर्म भूमि जो कर्म करने को मिली है।

जहां में काम करके देखो, कर्म से मिलती सौगात है ।

6.06pm 21 May 2021

Wishing everyone a very special day of our life...❤️

Today is the 21st day, 21st week & 21st year of the 21st century_

Stay safe all


Thursday 20 May 2021

1652 Ghazal : गज़ल : मैं कभी तेरा हो नहीं पाया

https://youtu.be/jyc2fSxEhFc

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2122 1212 22

Qafia : O, काफि़या  ओ

Radeef  nahin paya ,रदीफ़- नहीं पाया


चाहा जो मैंने, वो नहीं पाया।

मैं कभी तेरा, हो नहीं पाया ।


जब से देखा तुझे है मैंने, मैं, 

यार ,इक पल भी सो नहीं पाया ।


मन ही मन तो  बहुत है दिल रोया  ,

पर ये दामन भिगो नहीं पाया।


बस गया जब से चेहरा ,आँखों में,

फिर तो आँखों से रो नहीं पाया ।


तू मिली भी नहीं, लगा फिर भी ,

दाग दामन का.., धो नहीं पाया।

1.04pm 20 May 2021

Wednesday 19 May 2021

1651 जैसे कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान

कर्म है कुछ ऐसा, जिसका लेखा जोखा रहता ।

पर मानव इस लेखे जोखे को खराब करता रहता।


जो किया कर्म हे मानव तूने ,वही तो सामने आता।

जब सामने आता नतीजा, तो क्यों मन न सहता।


सोचता है  कर्म फल अच्छा मिले मुझको पर, 

कर्म करते वक्त कुछ भी ध्यान न तुझको रहता।


फिर क्यों मानव कुछ समझता नहीं कर्म को, 

और जो दिल में आए वही करता रहता ।


कर्म का फल यहीं मिलेगा, यह भूल जाता ।

कर्म बुरे कर अच्छे फल की आस करता रहता ।


नियम को तू जान, जैसे कर्म करे वैसा फल दे भगवान ।

फिर क्यों अपना जन्म निरर्थक करता रहता।


कोई कुछ भी सोचे खुद के बारे में ,कर्म का नियम है,

जो बोना है वही काटना, यह नियम तो चलता रहता।

4.32pm 19 May 2021

Tuesday 18 May 2021

1650 Ghzal : गज़ल:हाथ में आदमी के खंजर है

2122 1212 22

Qafia err काफि़या  अर

Radeef  Hai रदीफ है


आज हालत हुई जो बदतर है,

आँख हो बंद ,ऐसा मंजर है ।


अब किसी को दया नहीं आती ।

क्या ये ,मानस पशु का अंतर है।


छीन कर दूसरे का हिस्सा फिर,

सोचता खुद को सबसे बढ़कर है।


गिर गया पशु से भी ज्यादा ये ,

पर समझता कहाँ ये कमतर है।


जान अपनी पे जब बनी आखिर,

हाथ में आदमी के खंजर है ।

11.52 am 18 May 2021


Monday 17 May 2021

1649 कागज़

 कागज़ तेरे होने से मैं लिख रहा हूँ।

 तू न होता तो मेरे जज्बात कहाँ जाते ।

क्या मुझे कहना पड़ता किसी से या ,

यह खुद ही में कहीं बिखर जाते ।


सोचता हूँ तेरा बनाने वाला भी क्या खूब था।

 क्या वह भी अपने जज्बात से मजबूर था।


 या उसे फिकर थी दूसरों की कि कोई ना मिले,

तो उतार सके अपने जज्बात को तेरे सीने पर ,

और हो जाए रिहा उन जज्बातों से, 

जो उसे कभी सताते हैं ,तड़पाते हैं ,रुलाते हैं।

5.08pm 17 May 2021

Sunday 16 May 2021

1648 रोशनी हर जगह हो जाए

 गम का अंधेरा छंट जाए।

 रोशनी हर जगह हो जाए ।

सब रास्ते साफ नजर आए

हर रास्ता साफ हो जाए।


हो जाए कुछ ऐसा

नया समा फिर आ जाए ।

भूल जाएं सब कष्ट भरे दिन ।

हर तरफ सुख  हो जाए।


नई सोच हो हर तरफ ,

सब करें  एक दूसरे से प्यार  ।

 प्रेम प्यार से दिन बीते फिर  ,

ऐसा जादू हो जाए।

5.43pm 16 May 2021

Saturday 15 May 2021

1647 अमीर गरीब

 कोई बिन पैसे के भी अमीर। 

कोई पैसे वाला भी गरीब।

कैसे जाने इस दुनिया में ,कौन अमीर कौन गरीब।


बिन पैसे के भी सेवा में कोई आगे रहे।

 पैसे वाला किसी के काम न आए। 

बताओ उस खुदा के है कौन करीब।


बिन पैसे के भी कोई मजे में।

पैसा वाला देख देख जलता रहे ।

 यह तो भाई सब का है अपना अपना नसीब।


बिन पैसे के हैं जो मजे में ।

पैसे वाले देखें जब उसको ।

यूँही जाने क्यों बन बैठेते हैं उनका रकीब।

06.06pm 15 May 2021

Friday 14 May 2021

1646 जमाना आया ऑनलाइन शॉपिंग का

इस मरि शॉपिंग ने परेशान किया है ।

सबका इसने जीना हराम किया है ।

जब देखो बेल बज जाती है ।

बाहर कोरियर वाला खड़ा किया है ।


इस नाम से रहता है जी कोई, 

यह कोरियर वाले ने फरमान किया है ।

ले आते हैं हर रोज ही कुछ न कुछ ,

घर को पूरा गोदाम किया है ।


डालते तो कभी देखा नहीं ,

अलमारी का बुरा हाल किया है ।

कपड़े ही नहीं सैंडल भी घर आते हैं।

घर को दुकान किया है। 


कौन बतलाए इनको सैंडल पहन के,

 कहाँ घर में चल पाते हैं ।

लिपस्टिक लाइनर काजल !

लाकर दराज भर डाले हैं।


न जाने इस को लगा लगा कर

किसको यह  दिखलाते हैं। 

यह घर बैठे हैं फिर भी इतने कपड़े ,

ऑनलाइन मंगवाते हैं  ।


संभाल संभाल कर सब सामान, 

अपना बुरा हाल किया है।

आजकल घर बैठे शॉपिंग का ,

नया तरीका आम किया है। 


इसने घर को ही दुकान बनाया है।

 वहाँ पड़ी रहती भी तो अच्छी थीं।

क्यों आजकल के बच्चों ने बिना जरूरत,

घर पर  इकट्ठा  यूँ सामान किया है।

4.03pm  13 May 2021

Thursday 13 May 2021

1645 जिसने की नादानी है, उसकी बर्बाद जवानी है

 दुनिया आनी जानी है ,हर चीज यहाँ पर फानी है ।

कोई यहाँ कुछ भी कहे ,अजीब इसकी कहानी है।


आएंगे कई मोड़ सामने, कितनी हीतकलीफें होंगी।

पार करेंगा जिसने ठानी है,उसकी ही खुश जिंदगानी है।


खुद की मर्जी चाहे  नौजवान,करके अनुशासन को दरकिनार   ।

जिसने की नादानी है, उसकी बर्बाद जवानी है ।


आओ अपना हौसला बढ़ाएं ,दुनिया में बस प्यार फैलाएं ।

बुराई चाहे कितनी तूफानी है,बुराई की दीवार गिरानी है।

3.46pm 13 May 2021

Wednesday 12 May 2021

1644 केदार नाथ केदार जी

 तेरे प्यार को हम भुला ना सकेंगे ।

कैसे तेरी यादों से किनारा करेंगे ।


कहां से कहां पहुंचे तेरे ही सहारे ।

तुझे याद करके यह सोचा करेंगे ।


बहुत से हुए पार तेरी नाव के सहारे।

 रह गए जो बता वह अब क्या करेंगे।


एक युग हुआ खत्म तेरे साथ केदार ।

तेरी यादों के सहारे जिया करेंगे।

11.55pm-00.00pm 11 May 2021

Tuesday 11 May 2021

1643 इंसान के रंग बदलते रहते हैं

 मौसम की क्या बात कहें, यह तो बदलते रहते हैं ।

आदमी भी मौसम सा हुआ है ,रंग बदलते रहते हैं।


 जाने कैसे जीने का शौक है पाला,

रोज ही ढंग बदलते रहते हैं।


सोचता सिर्फ अपने बारे और कोई सोच नहीं ,

जब देखो इसके रूप रंग बदलते रहते हैं ।


गिरगिट को तो बस नाम दिया है रंग बदलती गिरगिट ,

इंसान को क्या कहें हम जिसके रूप रंग बदलते रहते हैं।


 आज किसी के साथ चलेंगे कल कोई और,

 इसी तरह साथ चलने वाले अंग संग बदलते रहते हैं।


आओ हम प्यार पालें और हिंसा की परिभाषा बदलें ।

यह न कह सके कोई कि इंसान के प्रसंग बदलते रहते हैं।

3.13pm 11May 2021

Monday 10 May 2021

1642 अंधे हुए दौड़ रहे हैं सब

 पावन पवित्र सी इस धरती पर,

 यह किसने विष घोला है।

हर कहीं स्वच्छता थी ,

किसने गंदगी की तरफ मुख मोड़ा है।


थक गए सज्जन कहते कहते 

धरती हमारी माता है।

पर आज के इस मानव को ,

समझ कुछ नहीं आता है।


अंधे हुए दौड़ रहे हैं सब,

 एक दूसरे पर गिरते हैं।

कितना भी रोको इनको ,

पर यह तो न रुकते हैं।


कब समझेंगे यह ,

इसका कुछ पता नहीं है।

नहीं जानते हैं धरती के अलावा ,

 जीवन कहीं बचा नहीं है।


खोजें खोज खोज कर ,

जो था वह भी लुटा दिया।

इस पावन स्वर्ग सी धरती को ,

न जाने क्या है बना दिया।

8.03pm 10 May 2021


Sunday 9 May 2021

1641 माँ तेरे पास होने से गम का एहसास नहीं होता

माँ तेरे पास होने से सब कुछ लगता अच्छा अच्छा ।

जाने क्यों कोई गम का एहसास नहीं होता ।

सोच नहीं आती किसी भी गम की ....

तू है ना !  यही सदा एहसास होता है।

तेरे आंचल में कोई दुख नहीं,

मुझे कुछ भी हो, जब तू है तो मुझे कुछ भी एहसास नहीं होता।

जीवन बहुत लगता है आसान सा ..

तू है ना ..कोई गम आए तो मुझे कुछ एहसास नहीं होता।

कुछ सोच नहीं होती बस करता जाता हूँ अपने काम ।

क्योंकि पता है मुझे कोई गम आएगा तो तू है ना ।

मुझे काम करते हुए कोई भी दुख दर्द का एहसास नहीं होता ।

क्या सबके साथ ऐसा ही होता है ।

तेरे होने से सब चीजें आसान है,

 कोई दुख कोई दर्द का एहसास नहीं होता ।।

जिए जा रहा हूँ मजे में ,इतनी आसान है जिंदगी माँ तेरे साए में ।

तू है तो मुझे किसी भी गम का एहसास नहीं होता।

9.13pm  9 May 2021

Saturday 8 May 2021

1640 Ghazal : गज़ल : रात भर जिनको याद करते हैं

 2122 1212 22

Qafia : erte काफिया : अरते

Radeef : Hain, रदीफ़ हैं

माना हम आज तुम पे  मरते हैं ।

पर मोहब्बत से फिर भी डरते हैं ।


देखा है दिल को टूटते मैंने ,

अब न टूटें ,दुआ ये करते हैं ।


याद कर के कभी तुझे रोते ,

और कभी हाय,आह भरते हैं ।


कल थे जो गमख्वार मेरे वो,

अब कहां गम वो मेरे हरते हैं।


याद में उनकी दिन ये ढलते हैं।

रात भर जिनको याद करते हैं ।

11.54pm 7 May 2021

Friday 7 May 2021

1639 आँखों ने हँसना सीख लिया है

जबसे होठों की हँसी छुप गई है ।

आँखों ने हँसना सीख लिया है ।


कुछ भी थमता नहीं इस जग में ।

हर हाल में हमने जीना सीख लिया है ।


गम न कर समय समय की बात है ।

आज सबने घूँट सब्र का पीना सीख लिया है।


अच्छे दिन भी आएंगे इस आस में ,

बुरे दिनों को हँसकर जीना सीख लिया है ।


चेहरे से पहचानते थे हम सबको पहले ।

आँखों से पहचानना सीख लिया है ।


पहले पास रहकर भी थी दूरियाँ सब में ।

अब दूर रहकर भी पास होना सीख लिया है।


अब सब खड़े हैं एक दूसरे की मदद को ।

सबने अब सुख दुख बाँटना सीख लिया है ।


पहले कौन अपना कौन पराया करते थे ।

अब सबको अपना मानना सीख लिया है।

12.17pm  07 May 2021

Thursday 6 May 2021

1638 एक थी चिड़िया

 एक थी चिड़िया, रोज ही आती ।

तिनका तिनका घोंसला बनाती ।।

कर रही थी वह एक घोंसला तैयार ।

आने वाला था उसके घर नया मेहमान।।

मैं भी उसको रोज थी देखती ।

सुंदर लगती जब चीं चीं करती ।।

कुछ दिन से जब आवाज न आई।

बाहर उसको मैं देखने आई ।।

बाहर वृक्ष पर घोंसला न था।

देखकर डर गया मेरा  मन था।।

कहाँ गया वो आधा बना घोंसला ।

कहीं उसका नामोंनिशान न था।।

इधर-उधर में देखने लगी ।

पर पाया न उसका,एक भी तिनका ।।

पूछा सफाई वाले से हार कर ।

कहीं घोंसला देखा है.. गिरा उधर।।

झट से बोला ,गिर गया था वहीं पर।

मगर साफ कर दिया.. उठाकर ।।

मन मेरा घबराने लगा सोचकर ।

क्या बीती होगी प्यारी चिड़िया पर।।

किसने मेरा घर बर्बाद कर दिया।

अगर खुद से गिरा तो कहाँ गया।।

तिनका तो वहीं पड़ा होता ।

कोई तो निशान बचा होता।।

फिर बना लेती इक इक जोड़कर ।

क्या मिला इंसान को मेरा घर तोड़कर।।

क्यों नहीं सोचता इंसान ऐसे,

अगर, कोई तुम्हारा घर बर्बाद कर दे ऐसे।।

 तुम बाहर से काम कर के आओ ।

लौटकर, घर का निशान भी न पाओ।

 कुछ तो सोचो वह भी जीवित प्राणी हैं।

यह दुनिया तो आनी जानी है ।।

अच्छा नहीं आह लेना किसी की।

मिलती है सब को सजा ,करनी की।।

बहुत याद आती है मुझको उसकी।

जान नहीं पा रही हूँ मैं,उसके मन की।

1.02pm 5 May 2021

Wednesday 5 May 2021

1637. साठवीं सालगिरह मुबारक हो

सालगिरह मुबारक तुमको माँ बाबा।

यूं ही खुशी खुशी तुम ,

एक दूसरे का साथ देते रहो ।


चलते रहो जिंदगी के पथ पर ,

हाथों में हाथ डाल

यूं ही तुम मुस्कुराते रहो ।


तमन्ना है यूं ही गुजरते जाएं ,

सालों साल और आप,

 एक दूसरे के संग मुस्कुराते रहो।

6.55pm 05 May 2021

Tuesday 4 May 2021

Q1636 Ghazal : गज़ल :अगर तुम जो मुझसे यूँ नफरत न करते

122 122 122 122

Qafia : att,काफिया : अत

Radeef: na karte, रदीफ : न करते


अगर तुम जो मुझसे यूँ नफरत न करते।

तो तुमसे भी हम फिर  शिकायत न करते।


निभानी थी दिल से ,मेरे दुश्मनी जो।

कभी हम तुम्हारी रियायत न करते ।


तेरा साथ देके यूँ पछताना होगा ।

तेरी हम कभी फिर हिमायत न करते ।


जो हम जान जाते तेरी बेवफाई ।

तो हम भी यूँ तुमसे मुहब्बत न करते ।


जो था टूटना तय, मेरे दिल का यारो।

तो हम इसकी ऐसी हिफाजत न करते ।


3.36pm 3 May 2021

Monday 3 May 2021

1635 Ghazal:गज़ल: मिलके क्यों यार हैं बदल जाते

2122 1212 22

Qafia : Aar, काफि़या :आर

Radeef : Hain badal jate,रदीफ़ : हैं बदल जाते


क्यों ये आसार हैं बदल जाते ।

मिलके क्यों यार हैं बदल जाते ।


आज कुछ और लगते हैं वो तो।

कल ये किरदार हैं बदल जाते ।


जब ये सरकार है बदलती तो ।

त्यों ही दरबार है बदल जाते ।


जिसकी लाठी है भैंस भी उसकी।

कल ये(रोज़) हकदार हैं बदल जाते ।


कितनी छोटी खबर की मुद्दत है ।

रोज अखबार हैं बदल जाते ।


कल जो नाजो़ से हमको रखते थे ।

आज बरदार (नाज़ उठाने वाले)हैं बदल जाते।


जिनको पाला था हमने नाजो़ से ।

क्यों वो परदार(जिसे पंख हों)  हैं बदल जाते।


जिनको सींचा लहू से हमने था।

बन समरदार (fruit bearing) हैं बदल जाते ।


"गीत" कुछ हैसियत न थी जिनकी।

बन असरदार हैं बदल जाते।

11.58am 3 May 2021

Sunday 2 May 2021

1634 शाँत रह के समां गुजा़र

 निकल जाएंगे मुसीबतों के पहाड़ से ।

शाँत रह के समां गुजा़र ,

क्या मिलेगा दहाड़ के।


मुश्किलें सिखा रही है तुझे हौसला रखना ।

यही सिखाएंगी तुझे ,

जीत का स्वाद भी चखना।


उठ खड़ा हो कर्म अपना तू करता जा।

मुश्किलों को पार कर,

मंजिलों की ओर बढ़ता जा।


एक दिन मिल जाएंगी सब मंजिलें तुझे ।

तू कर्म कर बस ,

नतीजे सामने मिल जाएंगे तुझे।

4.43pm 2 May 2021

Saturday 1 May 2021

1633 Ghazal : गज़ल : आज किसने दिया जलाया है

 2122  1212 22

Qafia :Aaya काफिया आया

Radeef : Hai रदीफ़: है

आज किसने दिया जलाया है ।

जिसकी लौ से ये जगमगाया है ।


की न थी ,कल्पना कभी मैंने ।

तूने वो दिन मुझे दिखाया है ।


बच निकलना हुआ है नामुमकिन ।

कैसा ये जाल अब बिछाया  है ।


रह रहे थे जहां बड़े बन कर ।

देना उस घर का अब किराया है ।


घुट गया था मेरा तो पीने से ।

प्यार का घूँट जो पिलाया है ।


करके एहसान तूने मुझपर तो।

एक इक करके हाँ जताया है।


आँख का तारा ,हम तो थे तेरे।

तूने क्यों आँख से गिराया है।


गंदगी घोल दी है धरती पर ।

तूने इसको कहाँ सजाया है।


बस बिगाड़ा है तूने धरती को ।

तूने बिगड़ी को कब बनाया है ।

12.22pm 30 April 2021