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Sunday, 16 May 2021

1648 रोशनी हर जगह हो जाए

 गम का अंधेरा छंट जाए।

 रोशनी हर जगह हो जाए ।

सब रास्ते साफ नजर आए

हर रास्ता साफ हो जाए।


हो जाए कुछ ऐसा

नया समा फिर आ जाए ।

भूल जाएं सब कष्ट भरे दिन ।

हर तरफ सुख  हो जाए।


नई सोच हो हर तरफ ,

सब करें  एक दूसरे से प्यार  ।

 प्रेम प्यार से दिन बीते फिर  ,

ऐसा जादू हो जाए।

5.43pm 16 May 2021

2 comments:

Unknown said...

आज आपकी कविता ताजगी से भरपुर है।
ये सचमुच में एक उत्तम रचना है।

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद 🙏🙏🙏