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Friday, 28 May 2021

1660 Gjazal: गज़ल : ये तोड़ देगी इश्क की आँधी मुझे

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काफि़या : आ, Qafia Aa

रदीफ़ : है,Radeef : Hai

कैसी उदासी मन पे देखो छा गई ।

क्यों याद तेरी इस तरह तड़पा गई ।


खोया रहा यादों में तेरी रात भर ।

खुशबू तेरी जाने कहाँ से आ गई ।


ये तोड़ देगी इश्क की आँधी मुझे,

तूफान बन जो जिंदगी में आ गई।


माना सहारा आशिकी को ही मगर,

अंदर ही अंदर ये तो मुझको खा गई।


हम भूल बैठे जब कभी यादें तेरी ,

फिर छेड़ मेरा दिल मुझे बहला गई।

3.07pm  28 May 2021

2 comments:

Unknown said...

बहुत खूबसूरत गजल है।
आप इसकी मार्केटिंग करिए।

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद
कैसे हो मार्केटिंग🤔