2212 2212 2212
काफि़या : आ, Qafia Aa
रदीफ़ : है,Radeef : Hai
कैसी उदासी मन पे देखो छा गई ।
क्यों याद तेरी इस तरह तड़पा गई ।
खोया रहा यादों में तेरी रात भर ।
खुशबू तेरी जाने कहाँ से आ गई ।
ये तोड़ देगी इश्क की आँधी मुझे,
तूफान बन जो जिंदगी में आ गई।
माना सहारा आशिकी को ही मगर,
अंदर ही अंदर ये तो मुझको खा गई।
हम भूल बैठे जब कभी यादें तेरी ,
फिर छेड़ मेरा दिल मुझे बहला गई।
3.07pm 28 May 2021
2 comments:
बहुत खूबसूरत गजल है।
आप इसकी मार्केटिंग करिए।
धन्यवाद
कैसे हो मार्केटिंग🤔
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