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Saturday, 8 May 2021

1640 Ghazal : गज़ल : रात भर जिनको याद करते हैं

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Qafia : erte काफिया : अरते

Radeef : Hain, रदीफ़ हैं

माना हम आज तुम पे  मरते हैं ।

पर मोहब्बत से फिर भी डरते हैं ।


देखा है दिल को टूटते मैंने ,

अब न टूटें ,दुआ ये करते हैं ।


याद कर के कभी तुझे रोते ,

और कभी हाय,आह भरते हैं ।


कल थे जो गमख्वार मेरे वो,

अब कहां गम वो मेरे हरते हैं।


याद में उनकी दिन ये ढलते हैं।

रात भर जिनको याद करते हैं ।

11.54pm 7 May 2021

2 comments:

Unknown said...

बहुत सुन्दर।
बहुत भावना प्रधान।

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद