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Qafia : erte काफिया : अरते
Radeef : Hain, रदीफ़ हैं
माना हम आज तुम पे मरते हैं ।
पर मोहब्बत से फिर भी डरते हैं ।
देखा है दिल को टूटते मैंने ,
अब न टूटें ,दुआ ये करते हैं ।
याद कर के कभी तुझे रोते ,
और कभी हाय,आह भरते हैं ।
कल थे जो गमख्वार मेरे वो,
अब कहां गम वो मेरे हरते हैं।
याद में उनकी दिन ये ढलते हैं।
रात भर जिनको याद करते हैं ।
11.54pm 7 May 2021
2 comments:
बहुत सुन्दर।
बहुत भावना प्रधान।
धन्यवाद
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