2122 1212 22
Qafia : Aar, काफि़या :आर
Radeef : Hain badal jate,रदीफ़ : हैं बदल जाते
क्यों ये आसार हैं बदल जाते ।
मिलके क्यों यार हैं बदल जाते ।
आज कुछ और लगते हैं वो तो।
कल ये किरदार हैं बदल जाते ।
जब ये सरकार है बदलती तो ।
त्यों ही दरबार है बदल जाते ।
जिसकी लाठी है भैंस भी उसकी।
कल ये(रोज़) हकदार हैं बदल जाते ।
कितनी छोटी खबर की मुद्दत है ।
रोज अखबार हैं बदल जाते ।
कल जो नाजो़ से हमको रखते थे ।
आज बरदार (नाज़ उठाने वाले)हैं बदल जाते।
जिनको पाला था हमने नाजो़ से ।
क्यों वो परदार(जिसे पंख हों) हैं बदल जाते।
जिनको सींचा लहू से हमने था।
बन समरदार (fruit bearing) हैं बदल जाते ।
"गीत" कुछ हैसियत न थी जिनकी।
बन असरदार हैं बदल जाते।
11.58am 3 May 2021
No comments:
Post a Comment