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Qafia err काफि़या अर
Radeef Hai रदीफ है
आज हालत हुई जो बदतर है,
आँख हो बंद ,ऐसा मंजर है ।
अब किसी को दया नहीं आती ।
क्या ये ,मानस पशु का अंतर है।
छीन कर दूसरे का हिस्सा फिर,
सोचता खुद को सबसे बढ़कर है।
गिर गया पशु से भी ज्यादा ये ,
पर समझता कहाँ ये कमतर है।
जान अपनी पे जब बनी आखिर,
हाथ में आदमी के खंजर है ।
11.52 am 18 May 2021
7 comments:
सत्य
सत्य
sach hai
बहुत खूब!
धन्यवाद 🙏
धन्यवाद
Thanks ji
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