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Tuesday 18 May 2021

1650 Ghzal : गज़ल:हाथ में आदमी के खंजर है

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Qafia err काफि़या  अर

Radeef  Hai रदीफ है


आज हालत हुई जो बदतर है,

आँख हो बंद ,ऐसा मंजर है ।


अब किसी को दया नहीं आती ।

क्या ये ,मानस पशु का अंतर है।


छीन कर दूसरे का हिस्सा फिर,

सोचता खुद को सबसे बढ़कर है।


गिर गया पशु से भी ज्यादा ये ,

पर समझता कहाँ ये कमतर है।


जान अपनी पे जब बनी आखिर,

हाथ में आदमी के खंजर है ।

11.52 am 18 May 2021