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Saturday, 1 May 2021

1633 Ghazal : गज़ल : आज किसने दिया जलाया है

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Qafia :Aaya काफिया आया

Radeef : Hai रदीफ़: है

आज किसने दिया जलाया है ।

जिसकी लौ से ये जगमगाया है ।


की न थी ,कल्पना कभी मैंने ।

तूने वो दिन मुझे दिखाया है ।


बच निकलना हुआ है नामुमकिन ।

कैसा ये जाल अब बिछाया  है ।


रह रहे थे जहां बड़े बन कर ।

देना उस घर का अब किराया है ।


घुट गया था मेरा तो पीने से ।

प्यार का घूँट जो पिलाया है ।


करके एहसान तूने मुझपर तो।

एक इक करके हाँ जताया है।


आँख का तारा ,हम तो थे तेरे।

तूने क्यों आँख से गिराया है।


गंदगी घोल दी है धरती पर ।

तूने इसको कहाँ सजाया है।


बस बिगाड़ा है तूने धरती को ।

तूने बिगड़ी को कब बनाया है ।

12.22pm 30 April 2021

7 comments:

Ashok Chhabra said...

वाह वाह

Ashok Chhabra said...

वाह वाह

Unknown said...

रोशन चिराग यूं ही जलाते रहे ग़ज़ल गुनगुनाते रहे अपने गज़लों से दुनिया के जज्बे जागते रहे शानदार।

Unknown said...

मिलजुलकर रहो प्रेम से
इसलिए दीप जलाया है।
शुभकामनाएं।

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद जी

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद