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Thursday, 20 May 2021

1652 Ghazal : गज़ल : मैं कभी तेरा हो नहीं पाया

https://youtu.be/jyc2fSxEhFc

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Qafia : O, काफि़या  ओ

Radeef  nahin paya ,रदीफ़- नहीं पाया


चाहा जो मैंने, वो नहीं पाया।

मैं कभी तेरा, हो नहीं पाया ।


जब से देखा तुझे है मैंने, मैं, 

यार ,इक पल भी सो नहीं पाया ।


मन ही मन तो  बहुत है दिल रोया  ,

पर ये दामन भिगो नहीं पाया।


बस गया जब से चेहरा ,आँखों में,

फिर तो आँखों से रो नहीं पाया ।


तू मिली भी नहीं, लगा फिर भी ,

दाग दामन का.., धो नहीं पाया।

1.04pm 20 May 2021

4 comments:

Unknown said...

सुंदर, बहुत सुन्दर।

Unknown said...

Excellent

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

Thanks ji