Punjabi version 3162
क़ाफ़िया ई
रदीफ़ दीवार
बड़ी ही मुश्किलों से हमने कल जो तोड़ी थी दीवार।
हुआ क्या ऐसा कर दी आज तुमने फिर खड़ी दीवार
यत्न कर, बीच की थी प्यार से हमने भरी खाई।
ज़हर अब नफरतों का फैला कर किसने की दीवार।
लगे जिसको गिराने में हमें बरसों, वहीं अब क्यों।
कहो जल्दी से इतनी, एकदम कैसे उठी दीवार।
रहे गर बात घर की घर ही में तो ही तो अच्छा है।
बचा लो अब न तोड़ो है बची जितनी हुई दीवार।
बढ़ी थी बात, जो वो चाहते बोला न जब हमने।
पता ही न लगा कुछ, कितनी जल्दी तब बनी दीवार।
रहे थे प्यार से बचपन, जवानी में सभी मिलजुल।
बुजुर्गी में कहो क्यों बीच उनके आ गई दीवार।
दरारें आ गई जब भाइयों के बीच में इतनी।
सभी ने देखी उनके घर की फिर थी टूटती दीवार।
बचा कर रखना हो तुम चाहते दुश्मन से जो घर को।
तो रखना 'गीत' तुम मजबूत और ऊंँची सभी दीवार।
12.47pm 2 July 2025

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