खता जो करते हैं उन्हें कोई पूछता नहीं।
बेखता हैं जो, इल्जाम उन पर लगते हैं।
क्या कहें ऐसी दुनिया को कुछ सूझता नहीं
कुछ कहें तो वो हमें खतावार समझते हैं।
खतावार खता करते हैं बेख़ौफ
उन्हें डर नहीं,
जबकि डर से खता जो करते नहीं ।
बेखता हैं जो, इल्जाम उन पर लगते हैं।
क्या कहें ऐसी दुनिया को कुछ सूझता नहीं
कुछ कहें तो वो हमें खतावार समझते हैं।
खतावार खता करते हैं बेख़ौफ
उन्हें डर नहीं,
जबकि डर से खता जो करते नहीं ।
इल्जाम उन पर लगते हैं
साक़ी भरता रहता है जाम खाली होता नहीं
इतने भर जाते हैं कि छलकने लगते हैं।
पीने वाले पीते हैं, जो डरते हैं छूते नहीं,
इल्जाम उन पर लगते हैं
जो बिन पिए झूमने लगते हैं।
16 oct 1989
साक़ी भरता रहता है जाम खाली होता नहीं
इतने भर जाते हैं कि छलकने लगते हैं।
पीने वाले पीते हैं, जो डरते हैं छूते नहीं,
इल्जाम उन पर लगते हैं
जो बिन पिए झूमने लगते हैं।
16 oct 1989
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