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Thursday, 21 December 2023

2600 खेल वक्त का अभी है जारी

 समझा समझा कर मैं हारी,जाती नहीं तुम्हारी बिमारी।

जब देखो गुस्सा करते हो, तुम्हें समझा कर मैं हारी।


कौन बताए तुमको कि हम, बात करते तुम्हारी तरफ की।

जो भी बात करें हम तुमसे, तुमको लगती उल्टी सारी।


बिन समझे हो बोले जाते, हम उनको एक आँख न भाते।

जब भी बोलें तीखे सुर में बोलें, लगता मत गई है मारी।


दूर है जो वो लगते प्यारे, भूल गए जो हैं पास तुम्हारे।

पास कहीं न दूर  हो जाएं, हो गए तो, होगी तुम्हारी जिम्मेवारी।


वक्त बदलते देर न लगती, किस्मत पल भर में है बदलती।

देखो तुम किस्मत के खेल, खेल वक्त का अभी है जारी।

2.37pm 21 Dec 2023


1 comment:

Anonymous said...

Very nice ji