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Sunday 23 August 2020

1382 गज़ल शायरी :ख्याल तुम्हारा।

 दिल भी मेरा ,दिमाग भी मेरा ,फिर क्यों खयाल तुम्हारा।

पन्ने मेरे, कलम मेरी ,स्याही मेरी फिर क्यों ख्याल तुम्हारा।


आँखें देखें मेरी, सुहानी वादियाँ,इन हसीन लम्हों में।

हसीन लम्हों में जाने क्यों आ जाता है ख्याल तुम्हारा।


तुम्हारे जी में जो आता है वह करते हो,ऐसा है ना।

हमारे ही हर काम में क्यों होता है हरदम ख्याल तुम्हारा।



रात सुहानी ,तारे चमके दिल खुश हुआ चाँद देखकर।

चाँद देखते ही आता है ,यार मुझको खयाल तुम्हारा।


माना तुम भी रच बस गए हो जान बनकर मेरे भीतर।

क्या तुम्हारी यादों में भी मै हूँ जैसे मुझ में ख्याल तुम्हारा।

5.55pm 23 Aug 2020