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Saturday 29 August 2020

1388 तोड़ देंगे यार, जो भी जंजीर है(Sher o Shayri)

 तू मेरा हमदम तू ही ज़हीर( साथी)है।

बता मुझे तू किस बात से अधीर है ।


क्यों बैठा है तू यूँ चुपचाप सा ।

सुलझा लेंगे जो मसला गंभीर है।



उलझने सनम तेरी सुलझा के हम ।

तोड़ देंगे यार, जो भी जंजीर है।


खुला आसमान है तेरे आगे ।

ना समझना खुद को तू असीर(कैदी) है ।


सुलझ जाएंगी जब तेरी उलझनें सब।

फिर देखना जिंदगी का रंग अबीर(गुलाबी) है।

7.02pm 29 Aug 2020

2 comments:

Santosh Garg said...

वाहहह संगीता जी वाहहह बहुत सुंदर भाव👏👏👏👏👏🙏🌹🙏

Sangeeta Sharma Kundra said...

बहुत-बहुत धन्यवाद संतोष जी