तू मेरा हमदम तू ही ज़हीर( साथी)है।
बता मुझे तू किस बात से अधीर है ।
क्यों बैठा है तू यूँ चुपचाप सा ।
सुलझा लेंगे जो मसला गंभीर है।
उलझने सनम तेरी सुलझा के हम ।
तोड़ देंगे यार, जो भी जंजीर है।
खुला आसमान है तेरे आगे ।
ना समझना खुद को तू असीर(कैदी) है ।
सुलझ जाएंगी जब तेरी उलझनें सब।
फिर देखना जिंदगी का रंग अबीर(गुलाबी) है।
7.02pm 29 Aug 2020
2 comments:
वाहहह संगीता जी वाहहह बहुत सुंदर भाव👏👏👏👏👏🙏🌹🙏
बहुत-बहुत धन्यवाद संतोष जी
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