ए मोबाइल तुझे आजकल सब ताने देने लगे हैं ।
गलती अपनी इलजाम तुझ को देने लगे है ।
आग के अविष्कार जैसा है मोबाइल आजकल ।
जरुरत से करो इस्तेमाल, खामखा इसको तवज्जो देने लगे हैं।
सारी दुनिया की जानकारी समेटे बैठा है खुद में ।
आदमी आजकल बाहर नहीं दिखता ,खो गया है खुद में ।
वैसे तो यह दूर-दूर बैठों को पास ले आया है ।
पर पास बैठों को मोबाइल में खो कर गांवाया है।
सब बैठ मिल के देखते थे टीवी और करते थे बातें ।
शुरू में तो पड़ोसी भी पड़ोसी के घर देखने थे जाते ।
समय बदला टेलीफ़ोन अपग्रेड हो गया मोबाइल में ।
सोचा पास लाएगा पर सब सोलो होते हैं जाते।
अब तो हर चीज घुस गई है इस नन्हें से मोबाइल में ।
स्कूल, कॉलेज, खाना, वाहन सब एक ही स्टाइल में ।
ऐप से सब होने लगा है आजकल तो,बैंक भी है इसी में ।
जिसके पास है मोबाइल,उसे जरुरत किसी की नहीं लाइफ में।
बिन इसके भी अब तो चलता नहीं, जिंदगी का मेला ।
कितना मुश्किल होता है बुजुर्गों को बिन इसके जिंदगी का खेला।
जरुरत है यह आजकल की, कोई दिखावा नहीं है यह।
साथ इसको रख के चलाते रहो जिंदगी का रेला।
4.23pm 1 Dec 2021
2 comments:
वाहहहहह वाहहहहह अच्छा है👏👏👏👏😊🙏
धन्यवाद जी
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