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Saturday, 30 May 2020

U1297 इश्क 14

https://youtu.be/H30xiGuHu6w
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याद करो,जब तुम्हारे लिए शम्मा को जलाया था।
 चाह थी जिस चेहरे कि नजर को,वही छुपाया था।।

बहुत देर बैठे रहे किस्मत पर भरोसा करके।
बड़ी देर हमने किस्मत को अपनी आजमाया था।।

चाहत थी मेरी चाँद देखने की, उसी मुद्दत से।
जबसे खूबसूरती ए चेहरे का जिक्र आया था।।

ईद का चाँद  बने रहे हरदम तुम मेरे लिए।
पर दीदार ना हो पाया ,बड़ी देर जगाया था।।

सुर्मयी आवाज को तेरी तरसा हूँ मैं दिन रात।
ना एक शब्द भी आपने लबों से हमें सुनाया था।।

जानता हूँ इश्क चीज ही ऐसी है कि दर्द देती है।
खुशी से सहा हमने, जितना तुमने तड़पाया था।।
6.28pm 29 May 2020)

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