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तेरी यादों के साए मुझे घेर जाते हैं
जाने क्यों अगले पल मुंह फेर जाते हैं
कहीं तुम याद करते हुए सो तो नहीं जाती।
जो तेरी यादों के साए बिखर जाते हैं।
बहुत रहता है इंतजार भी याद के साथ।
तुम भी दिखो जब कबूतर मुंडेर पर आते हैं।
तरसना तरसाना ही तो मोहब्बत में काम है।
यूं ही यह गम जो घेर हमें देर सवेर जाते हैं।
5.47pm 30 May 2020
जाने क्यों अगले पल मुंह फेर जाते हैं
कहीं तुम याद करते हुए सो तो नहीं जाती।
जो तेरी यादों के साए बिखर जाते हैं।
बहुत रहता है इंतजार भी याद के साथ।
तुम भी दिखो जब कबूतर मुंडेर पर आते हैं।
तरसना तरसाना ही तो मोहब्बत में काम है।
यूं ही यह गम जो घेर हमें देर सवेर जाते हैं।
5.47pm 30 May 2020
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