Followers

Tuesday, 9 May 2023

2374 ग़ज़ल Ghazal शिकायत क्यों (Shikayat kyon) Why complain

 1222 1222 1222 1222

काफि़या अत Qafia att

रदीफ़ क्यों Radeef kyon

मोहब्बत है तुम्हें जिससे उसी से है बगावत क्यों ।

हो करते प्यार जो उनसे तो रह रह के शिकायत क्यों ।

भला हमने किया जब भी किया कोई , बताए फिर ,

मेरे ही सर पड़ी है यह भला ऐसी मुसीबत क्यों ।

न खुद को जब संभाला है,कभी आई मुसीबत जो ।

वो देते हैं किसी फिर और को ऐसी नसीहत क्यों ।

नहीं खुद झेल पाते जो शरारत औरों के हाथों ।

वो करते हैं किसी से फिर भला ऐसी शरारत क्यों ।

नहीं है प्यार उनको वो,ये कहते हैं सदा हमसे  ।

तो होती है हमें फिर देख कर उनको हरारत क्यों ।

शिकायत वो करें हमसे ,शरारत वो करें हमसे ।

समझ आती नहीं उनको, हमारी फिर मोहब्बत क्यों।

4.33pm 9 May 2023


mohabbat hai tumhen jisase usee se hai bagaavat kyon .

ho karate pyaar jo unase to rah rah ke shikaayat kyon .

bhala hamane kiya jab bhee kiya koee , batae phir ,

mere hee sar padee hai yah bhala aisee museebat kyon .

na khud ko jab sambhaala hai,kabhee aaee museebat jo .

vo dete hain kisee ko phir bhala aisee naseehat kyon .

nahin khud jhel paate jo sharaarat auron ke haathon .

vo karate hain kisee se phir bhala aisee sharaarat kyon .

nahin hai pyaar unako to,vo kahate hain sada hamase  .

to hotee hai hamen phir dekh kar unako haraarat kyon .

shikaayat vo karen hamase ,sharaarat vo karen hamase .

samajhe aatee nahin unako, hamaaree phir mohabbat kyon.


(English meaning )

Why are you rebelling against the one whom you love?

If you love someone then why complain while living with him.

Whenever someone did good, then tell me,

Why is this trouble on my head?

Neither when you have taken care of yourself, whenever there is trouble.

They give good advice to someone, then why such advice?

Those who themselves cannot bear the mischief at the hands of others.

They do good to someone, then why such mischief.

They don't have love, they always say to us.

So why do they feel anxious after seeing us again?

They complain against us, they do mischief with us.

They don't understand why we love again.

इसी बहर के फिल्मी गीत

किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है।

भरी दुनियांँ में आखिर दिल को समझाने कहाँ जाएँ।

 ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना।

चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों

 कभी पलकों में आंँसू हैं कभी लब पे शिकायत है ।

 खुदा भी आसमां से जब जमी पर देखता होगा।

 बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है 

 मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने ।

 हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले ।

जरा नजरों से कह दो जी निशाना चूक ना जाए।

 मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहाँ जाएँ ।

मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता ।

 सुहानी रात ढल चुकी न जाने तुम कब आओगे।

 कभी तन्हाईयों में भी हमारी याद आएगी 


1 comment:

Anonymous said...

बहुत खूब 👌👌