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Sunday, 2 February 2020

1179 एक चुप और सौ सुख

बहक जाते हैं वह ज़रा सी बात पर,
कुछ कहें भी उनको, तो  बता कैसे।
उलझ जाते हैं वह ज़रा सी बात पर,
बात हम सुलझाएं भी तो बता कैसे।

बात वो सुनना ही न चाहें हमारी
तो क्यों हम उसके पीछे यूं भागें।
एक चुप और सौ सुख अपना के जाना,
जिन्दगी की कश्ती चलाएं तो कैसे।

1.13pm 1 Feb 2020

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