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Saturday, 1 February 2020

1178 दिल इख्तियार में नहीं

ये दिल नहीं इख्तियार में,
छोड़ गुल,जाता है खार में।

गमगीन हुआ  , है  ये इतना
कि सुर सजता नहीं सितार में।

जो मजा तुझे मिलने में है,
वह मजा नहीं इंतजार में।

चल तो पड़े हैं मिलने तुझे,
पर राह तो है रेगज़ार में।

तू बता दे ये अब तो सनम,
क्या तेरा हूं हकदार में।

क्या युँ ही  रहेंगी दूरियाँ,
और हम रहेंगे कतार में।

4.42pm 31Jan 2020 Friday

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