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Friday, 31 January 2020

1177 दिल है के मानता नहीं

कैसे करूँ यकीन इस बात का, जो तुमने बतलाया है।
नहीं मानता है यह दिल, मैंने इसे बहुत समझाया है।

यूँ टूट रहा है दिल, बात सुनकर तेरे लबों से मेरा,
मैं ही जानता हूँ ,कितनी मेहनत से प्यार  पाया है।

भंवर में हूँ, मन  मेरा माने  ना ,बात तेरी मानने को।
तू नहीं  जानता इस बात ने कितना मुझे तड़पाया है।


कैसे बचाऊँ प्यार  मैं  , नफरत से भरी इस दुनिया में।
ऐसी बातों ने  ही सनम मुझ पर इतना सितम ढाया है।

यह दुनिया है देख बहुत रंग बिरंगी ,रंग बदले बार-बार
इस दुनिया का रंग ढंग तो आज तक ना समझ
में आया है
4.24pm 30 Jan 2020

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