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Sunday 26 January 2020

1172 छोड़ो रुठना मनाना

शिकायतें है माना तुझे मुझसे,मगर प्यार भी तो है।
रुठे हो तुम अभी मगर तुम्हारे मानने का इंतजार  भी तो है।

रुठना, मानना ,प्यार  ,तकरार ये सब तो होगा ही,
तुम अकेले नहीं घर में,  आदमी और चार भी तो हैं।

उठो छोड़ो कांटो को, स्वागत करो फूलों का।
आने वाली देखो,अब बहार भी तो है।
10.56pm 26 Jan 2020

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