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Sunday, 19 January 2020

1165 ना जानू़ँ जाना है किधर

भटक रहे  हैं मैं दर ब दर ,
जाने अब जाना  है किधर।।

छोड़ दिया,दामन उनका,
छोडी उनके ,घर की डगर।

बदल दिया रास्ता भी अब,
बदल दिया शहर और सफ़र।।

खो गए  ऐसे हम  तो यहाँ,
है  अपनी ना,उनकी  खबर।।

ऐ खुदा मुश्किल हुए अब तो,
काटने ये शाम ओ सहर।

कर  दे किस्मत का फैसला,
कर मुझे, या इधर या उधर।।

चल के  नयी राहों पर अब ,
कौन जाने कैसा हो  सफर।

भटकना ही लिखा है ,या
हो किस्मत कि मिले नया घर।।
11.21am  18  Jan 2020

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