प्रेम खुद का समर्पण।
चाहना दूसरे पर नियंत्रण।
प्रेम हो तो ,खुद को सौंप देना।
चाह हो तो, उसको पा लेना।
वस्तु से हम प्रेम नहीं कर सकते।
उसकी तो बस चाह होती हैं।
चाह किसी प्राणी की नहीं हो सकती।
क्योंकि उसका अपना अस्तित्व है।
अगर उसको पाने की चाह है तो।
तुम्हारी समझ में वह वस्तु है।
जैसे, फूल से प्रेम है तो तोडो़ गे नहीं।
फूल की चाह होगी तो तोड़ लोगे।
12.48pm 24 Dec 2020
Prem aur chaahane mein antar
Prem khud ka samarpan.
Chaahana doosare par niyantran.
Prem ho to ,khud ko saump dena.
Chaah ho to, usako pa lena.
Vastu se ham prem nahin kar sakate.
Uski to bas chaaha hotee hain.
Chaah kisee praanee kee nahin ho sakatee.
Kyonki usaka apana astitv hai.
Agar usako paane kee chaah hai to.
Tumhaari samajh mein vah vastu hai.
Jaise, phool se prem hai todo ge nahin.
Phool kee chaah hogee to tod loge.
(English Meaning)
Difference between love and want.
love ,surrender of itself.
Want, to control others.
If you have love, surrender yourself.
If you want, get it.
We cannot love things.
We just want.
No living thing can be desired.
Because he/she/it has his/her/its own existence.
If you want to get it.
You understand that thing.
Like, love for flowers ,you not pluckit.
If you want flowers, you will pluck.
2 comments:
बहुत सुंदर कविता भी और ज्ञान भी।
इसमें एक और बात मैं कहूंगा कि जब प्रेम अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच जाता है तो वह भक्ति बन जाता है।
आप बहुत अच्छा और सच्चा लिखती हैं।
धन्य हो।
इतनी सुंदर शब्दों से समीक्षा करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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