जानता है कोई नहीं बेटी के दर्द को ।
सोचता है हो रहा है जो वो होने दो।
क्या खता की है उस नन्ही सी जान ने ।
सोचते हैं जो मिटा दो उसको जहान से।
नारी बन जब पालती है बीज को ममता से।
बनाती है वृक्ष उसको पाल पोस के।
बीज चाहे नर का हो या नारी का ,
उस माँ को कोई फर्क नहीं पड़ता ।
फिर क्यों बेटी को ही जीने अधिकार नहीं है।
संपूर्ण जीवन अर्पण अपना जो कर देती है।
फिर क्यों न इज्ज़त हम उसकी करें।
ताकी बीज भी अच्छी तरह से पले ।
बेटियों को भी इस धरा पर पलने दो ।
और उनके पंखों को भी खुलने दो ।
बेटियों के पढने पर तुम्हें मान होगा।
एक बेटी से एक परिवार खुशहाल होगा।
आओ सब मिल बेटी का सम्मान करें।
जैसे करते हैं देवी की वैसे ही पूजा करें ।
सब हम करेंगे जो बेटी का सम्मान।
तभी बढ़ेगा देश का मान और होगा ,
भारत देश महान ।
11.40am 17 Oct 2021
1 comment:
दु:की बेटी करें पुकार
सुण मेरे बापू करतार।
देखने दे मुझे यह संसार।।
मुझे तू कोख में ना यार।
दुःखी बेटी करें पुकार।।
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