श्याम बजाए बांँसुरी, मन गाए चित्तचोर।
प्रेम लग्न की धुन बजी, नाचे मन का मोर।।
राधा होई बांँवरी, सुन बंँसी की तान।
सुध बुध सगरी खो गई, रहा न कुछ भी भान।।
श्याम श्याम रटती रहूँ, चाहे दिन हो रात।
श्याम बिना सूझे नहीं, मोहे कोई बात।।
सुन श्यामा की बाँसुरी, रहे न कुछ भी ध्यान।
उसमें ही खोई रहूँँ, वो है मेरी जान।।
4.19pm 20 Jan 2021
*श्याम बजाए बांसुरी, नाचे मन का मोर।*
*हुई बावरी राधिका , जब देखा चित्तचोर ।।**
*बावरिया वो फिरै ,सुन बंसी की तान।*
*सुधबुध अपनी ना रही, ना था कुछ भी भान।*
*श्याम श्याम रटती रहूँ, दिन हो चाहे रात।*
*श्याम बिना सूझै नहीं , और कछू अब बात।*
*सुन श्यामा की बाँसुरी, रहे न कोई ध्यान।*
*बस उसमें खोई रहूँँ, जो है मेरी जान।*
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