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Saturday, 14 June 2025

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क़ाफ़िया आता

रदीफ़ लिख

जब उदासी छाए तो जज्बात लिख। 

जो तेरे दिल पे हुआ आघात लिख।


मीठी बातें याद आए जो तुझे। 

याद करके वो हर इक तू बात लिख। 


याद कर वो सब मुलाकातें तेरी।

उन में सबसे जो हसीं वो रात लिख।


बाज़ी खेली जब इश्क और जान की। 

किसने किसको दी थी इसमें मात लिख।


प्यार अपना जब चढ़ा परवान था। 

लोग बन बैठे थे तब जिन्नात लिख।


रिश्ता अपना देख के टूटा हुआ। 

कर रहे क्या वो तेरी खिदमात लिख।


प्यार करने वालों का मजहब नहीं।

है नहीं इनकी कोई भी जात लिख।


प्यार हो जाता किसी भी पल कहीं।

'गीत' फिर हो शहर या देहात लिख।

3.00pm 14 June 2025

इस शहर का फिल्मी गीत

तुम न जाने किस जहां में खो गये 

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