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Wednesday, 8 October 2025

3254 ग़ज़ल आज रौनक थी उसके आने से


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क़ाफ़िया आ

रदीफ़ गई होगी 

सोये अरमां जगा गई होगी। 

रोता सबको हंँसा गई होगी।


आज रौनक थी उसके आने से।

रंग ए महफिल जमा गई होगी।

 

सब यहांँ पूछें उसके बारे में।

मैंने समझा बता गई होगी।


बात लोगों ने जो बनाई है।

उसके दिल को दुखा गई होगी।


क्यों ये खामोशी छाई है हर सू

उसके जाने से छा गई होगी।


धड़कनें मेरी बढ़ गई हैं क्यों।

मुझको लगता वो आ गई होगी।


इक न पल वो नजर हटा पाया।

'गीत' लगता है भा गई होगी।

9.51am 7 Oct 2025

2 comments:

Anonymous said...

Kya baat hai

Anonymous said...

अच्छी ग़ज़ल कही है गीत ने
सब के मन को भा गई होगी।