2122 1212 22
क़ाफ़िया आ
रदीफ़ गई होगी
सोये अरमां जगा गई होगी।
रोता सबको हंँसा गई होगी।
आज रौनक थी उसके आने से।
रंग ए महफिल जमा गई होगी।
सब यहांँ पूछें उसके बारे में।
मैंने समझा बता गई होगी।
बात लोगों ने जो बनाई है।
उसके दिल को दुखा गई होगी।
क्यों ये खामोशी छाई है हर सू
उसके जाने से छा गई होगी।
धड़कनें मेरी बढ़ गई हैं क्यों।
मुझको लगता वो आ गई होगी।
इक न पल वो नजर हटा पाया।
'गीत' लगता है भा गई होगी।
9.51am 7 Oct 2025
2 comments:
Kya baat hai
अच्छी ग़ज़ल कही है गीत ने
सब के मन को भा गई होगी।
Post a Comment