1222 1222 12 22 1222
क़ाफ़िया आना
रदीफ़ आसान मत समझो
है करना आज जिससे सामना आसान मत समझो।
हैं अब तो जीतना, लोहा लिया आसान मत समझो।
दिया ललकार दुश्मन को बता फिर सोचना कैसा।
डटे रहना नहीं और भागना आसान मत समझो।
फँसी है उलझनें दुनिया की जो तेरे कलेजे में।
निकलना चाहते गर जीतना आसान मत समझो।
निकल जाओगे इक दिन तुम कभी जब इस मुसीबत से।
उसे फिर उस तरह संभालना आसान मत समझो।
हुआ जब प्यार तुमने देख ही ली थी तड़प उसकी।
निकलना चाहते गर मसअला आसान मत समझो
लगा दी जान उसने सारी उसको पार करने में।
है हासिल आज उसने जो किया आसान मत समझो।
लगी महफिल है रौनक छा गई है हर तरफ हरसू।
न हो इज्जत वहांँ तो बैठना आसान मत समझो।
किया जब प्यार उससे 'गीत' ने बदले में क्या चाहा।
दिया दिल पर नहीं उसका लिया आसान मत समझो।
6.46pm 4 Nov 2025

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