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Wednesday, 19 November 2025

3298 ग़ज़ल बता मुश्किल क्या है



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क़ाफ़िया आता

रदीफ़ बता मुश्किल क्या है

पास तू क्यों नहीं आता, बता मुश्किल क्या है।

मुझसे क्यों कह नहीं पाता, बता मुश्किल क्या है।

तेरे गम में रहूंँ शामिल, यही चाहा हरदम। 

काश मुझको तू बताता, बता मुश्किल क्या है।

राह देखूंँ मैं तुम्हारी, तुम्हें बस याद करूँ।

आता तो रंग जमाता, बता मुश्किल क्या है।

बांँट तकलीफ तेरी, हल करें मिलकर उसका। 

कौन तुमको है सताता, बता मुश्किल क्या है।

फूल राहों में बिछाऊँ मैं यही अब चाह मेरी।

तू भी मेरे लिए लाता, बता मुश्किल क्या है।

कामयाबी यूंँ ही मिलती नहीं, जो पानी है।

गम के बादल को हटाता, बता मुश्किल क्या है।

काश मिलता तुझे कोई जो तेरे सारे ही।

गम के बादल को भगाता, बता मुश्किल क्या है।

जो तुझे गम दिए दुनिया ने कई, अपने गले। 

'गीत' को आके लगाता, बता मुश्किल क्याहै।

7.09pm 19 Nov 2025

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