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Wednesday, 5 November 2025

3284 ग़ज़ल कहें जब कुछ तुम्हें माँ बाप तो फ़रमान मत समझो


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क़ाफ़िया आना

रदीफ़ मत समझो 

कहें जब कुछ तुम्हें माँ बाप तो फ़रमान मत समझो।

भला वो चाहते हैं तुम उसे अपमान मत समझो।

सहीं थी मुश्किलें कितनी बड़ा तुमको किया था जब। 

बने हो तुम बड़े तो खुद को अब भगवान मत समझो।

तुम्हारा फर्ज है मांँ बाप की सेवा करो अब तुम। 

जो तुम करते हो सेवा तो उसे एहसान मत समझो।

सभी वो जानते हैं गलतियांँ जो भी हो तुम करते। 

वो करते माफ फिर भी हैं उन्हें अनजान मत समझो। 

दिखाते प्यार में वो हैं नहीं कुछ जानते जैसे। 

उन्होंने देखी है दुनिया उन्हें नादान मत समझो।

बड़े कोमल हैं उनके भाव, लगते सख़्त जो तुमको। 

ज़रा देखो तुम उनका प्यार उन्हें चट्टान मत समझो।

अभी तुमने पढ़ी है जो, वो इक छोटी सी पुस्तक है । 

अभी है देखनी दुनिया उसे दीवान मत समझो। 

किया पैदा तुम्हें चाहे उन्हें भगवान मत समझो। 

करो सेवा मगर उनकी, उसे भुगतान मत समझो। 

अभी चलना तुम्हें है 'गीत' लंबी राहों पर देखो।

अभी है दूर मंजिल तुम इसे आसान मत समझो। 

3.49pm 5 Nov 2025

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