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Tuesday, 17 January 2017

K2 059 दीवानगी (Diwangi)

कैसी दीवानगी है इन लोगों की जिन्हें जी कर ही चैन नहीं,
वह मर कर क्या खाक चैन पाएंँगे।
खुद को तो बर्बाद करेंगे ही ,
दूसरों को भी गम में साथ अपने रुलायेंगे ।
नहीं किसी को जो तुम्हारी दीवानगी कबूल,
तो क्या जबरन ही अपनी बात मनवाएंगे ।
जो इस तरह बात बनाई गई हो ,मुझे नहीं लगता ,
वह इससे जिंदगी सँवार पाएंगे ।
खुद को तो क्या खुशी मिलेगी,
दूसरे की जिंदगी भी नीरस बनाएंगे।
वह तड़पता होगा शायद किसी और की याद में ,
तुम जैसे यूंँ ही उन्हें सताएंगे ।
कैसी दीवानगी है इन लोगों की ,
जिन्हें जी कर ही चैन नहीं ,
वह मर कर क्या खाक पाएंगे।
3Aug 1989 59
Deewangi
Kaisi Deewangi hai in logon ki ,
Jeenhe ji kar hei chain nahi,
 wo Mar kar kya khak chain Payenge.
 Khud Ko tou barbaad karenge He,
 dusro Ko Bhi Gham me Sath Apne rulayenge.
 Nahi Kisi ko jo Tumhari Deewangi Qubool ,
toh kya jabran hi apni baat manwayen ge.
 Jo Is Tarah Baat Banaye gayi ho,
 mujhe nahi lagta ,
Woh is se jindgi sanwaar paeynge.
Khud Ko Kya Khushi milegi ,
Doosre Ki Zindagi Bhi Neeras Banayenge .
vo tadpta Hoga Shayad Kisi Aur Ki Yaad Mein.
Tum Jaise yunhi unhen stayenge .
Kaisi Deewangi hai in logo ki Jeenhe jee
Kar hi chain nahi ,
wo Mar kar kya Khak chain payenge.

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