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Sunday, 22 January 2017

K2 00104 हाल ए गम ( Haal e gum)

जिंदगी क्या सुनाएं हाल ए गम ,
अब तो तुमसे दूर हो गए हैं हम ।
तू तो करती रही स्तिम पर स्तिम ,
वह तो हम ही थे ,
जो हँस हँस के सहते रहे ।

हम से दूर-दूर रहते रहे तुम ,
हम भी बैठे रहे यूँ ही गुमसुम ।
पर तुमने न जाना हमारा ग़म ,
वह तो हम ही थे ,जो सुनते रहे ,
वह जो तुम कहते रहे ।

ऐसे ऐसे किए तुमने हम पर स्तिम ,
कोई और होता तो तोड़ देता दम ।
हम सोचते रहे कि कभी तो होंगे ये कम ,
वह तो हम ही थे,
जो जख्म खाकर भी हँसते रहे ।
संग तुम्हारे  चलते रहे।
4Oct 1989. 104
Haal E gum
Zindagi Kya sunaye haal e gum ,
Tumse Dur Ho Gaye Hain Hum .
Tu Tuo Karti Rahi Sitam Pe Sitam ,
wo tou hum he the,
 jo hans hans ke sehte rhe.

Humse Dur Dur Rehte Rahe Tum,
 Hum Bhi Baithe Rahe Yuhi Gumsum .
Per Tumne Na Jana Hamara gum.
Vo To Hum the jo sunte Rahe ,
wo Jo Tum kehte Rahe .
Aise Aise kiye tum ne Hum Pe Sitam ,
Koi Aur Hota To tod deta dum .
Hum sochte Rahi ke Kabhi Toh Honge Ye come ,
Vo tou Hum he The,
Jo jakham kha kr bhi hanste rhe,
 Tumhare sung chalte rhe.

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