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Sunday, 29 January 2017

K3 0015 फरियाद

क्यों मुझसे रूठ गई तुम ।
कुछ पल तुमसे बात न हुई ,
इसलिए दूर हो गई हो तुम ।

बात करना चाहता हूँ तुमसे,
क्यों मेरे करीब नहीं हो तुम ।
अगर किसी बात से खफ़ा हो ।
क्या मुझसे नहीं कहोगी तुम ।

आज सुहानी हवा जो चली ।
खिल गई मेरे मन की कली ।
और फिर कुछ ऐसी हवा चली,
मिटा कर मेरी उमंगे चली ।

वो दिन रहेगा याद मुझे,
जिसने ,किया था बर्बाद मुझे।
आज फिर आंँगन में बहार आई है। 
जिसने मेरी मन की कली खिलाई है।
हमें साथ चलना है चलते रहेंगे ।
प्यार करते हैं करते रहेंगे ।
मेरे मन की यही है बस यही है चाह।
ये गुलशन हँसता रहे सदा।
परेशानी हमें न कोई डसे।
खुशियों की बहार छाई रहे ।

ये गुलशन रहे सदा आबाद ।
न बनके रहे यह बस इक याद ।
यही है मेरे दिल की फरियाद।
1986

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